परंपराओं के विरुद्ध बिना किसी कर्मकांड के मानववादी पद्धति से श्राद्ध कर्म के लिए समाज के बौद्धिक वर्ग द्वारा प्रशंसा …..           

  • शम्भू विश्वकर्मा 

कौआकोल नवादा 22 फ़रवरी ।  समाज में रूढ़ परंपराओं के विरुद्ध बिना किसी कर्मकांड के मानववादी पद्धति से श्राद्ध कर्म करना भले ही जोखिमपूर्ण कार्य हो किन्तु देर-सवेर समाज के बौद्धिक वर्ग की प्रशंसा मिलने लगती है और इससे समाज का भी भला होता है ।

ऐसा ही एक अनोखा श्राद्धकर्म जिले के कौवाकोल प्रखण्ड स्थित बन्दैली खुर्द गांव में 21 फ़रवरी को देखा गया जहाँ ब्रह्मभोज की जगह कन्या पूजन एवं कन्या भोज के माध्यम से दिवंगत रामप्यारी देवी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई । सदर प्रखण्ड के लोहरपुरा मध्यविद्यालय में कार्यरत प्रधानाध्यापक संजय पासवान एवं उनके अग्रज शिक्षक विपिन पासवान ने अपनी माँ रामप्यारी देवी के निधनोंप्रांत  मानववादी पद्धति से श्राद्धकर्म करके समाज में एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया । अर्जक नेता परमेश्वर मंडल की अध्यक्षता में एक शोक सभा एवं पुष्पांजलि सभा का आयोजन किया गया और एक मिनट का मौन रखकर दिवंगत रामप्यारी देवी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई । वक्ताओं ने उनके सामाजिक एवं पारिवारिक दायित्वों के सफल निर्वहन की सराहना की और कहा कि अनपढ़ होकर भी इन्होंने अपने बच्चों को संस्कारित पुष्पित कर समाज को निष्ठावान शिक्षक , बैंकर और सचिवालय सचिव  प्रदान किया ।

          अर्जक नेताओं ने मृत्युभोज , दान-पूण्य और कर्मकांड को अमानवीय साबित करते हुए संजय पासवान एवं उनके परिजनों के साहस की प्रशंसा की । कार्यक्रम के उत्तरार्द्ध में गांव के तीस कुँवारी कन्याओं का ज्योनार कराया गया और उन्हें स्कूल ड्रेस समेत अन्य पाठ्य सामग्री प्रदान कर समाज में बेटियों के प्रति सम्मान और समर्पण का उदाहरण पेश किया गया । मौके पर प्रगतिशील लेखक संघ के अशोक समदर्शी , शम्भू विश्वकर्मा , बामसेफ के उमेश रजक , अर्जक संघ के उपेन्द्र पथिक , नरेंद्र कुमार , रामफल पंडित , भुवनेश्वर प्रसाद समेत बौद्धिक वर्ग के सैकड़ों लोग उपस्थित थे । अर्जक गायक सुरेन्द्र प्रसाद एवं निर्गुण गायक रमेश कुमार की टीम ने एक से बढ़कर एक गायन प्रस्तुत कर खूब तालियाँ बटोरी । 

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