० नवादा से डी के अकेला की रिपोर्ट
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नवादा,17 फ़रवरी : दी नवादा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक से तकरीबन 32 करोड़ रूपये का घोटाला व व्याप्त घोर अनियमितता की एक जबर्दस्त सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। वैसे तो आये दिन विभिन्न सरकारी विभागों में एक पर एक सरकारी राजस्व का गवन या घोटाले की बहुचर्चित मामले लगातार प्रकाश में आते रहा है। इसमें कोई बहुत बड़ी आश्चर्य या ताजुब की बात नहीं है। ताजुब इस बात की है कि लाखों-करोड़ों रूपये के घोटाले एवं करने वाले घोटालेबाजों पर सार्थक क़ानूनी करवाई नहीं होने के कारण उनका मनोबल बढ़ाता चला जाता है । यह तो पुरानी कहावत ही चरितार्थ होते दिखाई पड़ रहा है। इससे तो यही साबित होता है कि “चोर-चोर मौसेरे भाई सांझे में हसुआ रखे पजाई “.
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इधर कांग्रेस के घटक संगठन इंटक के पूर्व जिला अध्यक्ष व समाज सेवी प्रमोद कुमार ने दी नवादा सेंट्रल बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर अरुण कुमार और DCO दोनों के नापाक मिलीभगत से दी नवादा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक से करीब 32 करोड़ रूपये का घोटाला किया गया है। यह सरकारी राजस्व गवन व घोटाले और अनियमितता के बहुत सारे सारगर्भित तथ्य और नेकों सटीक प्रमाण उनके पास साक्ष्य के बतौर मौजूद है,जो आने वाले बख्त पर उच्चाधिकारियों को जाँच के दौरान प्रस्तुत करने को तैयार हैं। जबकि नवादा सेंट्रल बैंक के सहकारिता कमिटी ने आकलन किया है कि कोऑपरेटिव बैंक आज करोड़ों रूपये की घाटे में चल रही है,इसके बावजूद भी बैंक में घोटालों का ताँता लगा हुआ है। इंटक नेता प्रमोद कुमार ने आगे बताया कि नवादा सहकारिता बैंक के निदेशक द्वारा सिंगल हस्ताक्षर से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लगभग 32 करोड़ रूपये सरकारी नियम कानून को ठेंगा दिखाकर निकासी कर लिया है,जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने भी व इसे नियम के घोर विरुद्ध और सरकारी राजस्व का गवन का मामला मानता है। नियम के अनुसार कम से कम तीन लोगों के हस्ताक्षर से ही बैंक से रूपये निकासी करना कानूनन वैध है अन्यथा अवैध है।
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इतना ही नहीं,बल्कि नवादा सेंट्रल बैंक के एमडी के काली करतूतों की बड़ी लम्बी फेहरिश्त है। एमडी द्वारा सरकारी वाहन रहने के बावजूद भी नीजि वाहन का इस्तेमाल कर रहे है। अहम् विचारणीय मामला तो यह है कि एमडी खुद अपने पिता के ही नीजि वाहन का बेशर्मी से प्रयोग करते आ रहे है। और इसका राशि यानि भाड़े का भुगतान सहकारिता विभाग के द्वारा किया जा रहा है ,जो नियमतःपुर्णतः गलत है। यह भी सरकारी राशि के गवन का एक नया फंडा नहीं तो और क्या है। साथ ही कर्मचारियों के वेतन बृद्धि के मामले में भी गलत तरीके का इस्तेमाल किया है,जो कोऑपरेटिव एक्ट के तहत अवैध है। इसमें भी खूब भ्रष्टाचार व अनियमितता की गंदी खेल खेलकर सरकारी राजस्व का हानी किया गया है। धान की भी अधिप्राप्ति की गति नवादा में काफी धीमी रहने की खबर दैनिक समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहा है। कोटा से कम धान की अधिप्राप्ति होने पर ऊपरी दबाव के कारण मात्र तीन दिनों में कोटानुसार धान की अधिप्राप्ति आखिर कैसे हो गई। यह भी एक जाँच का अहम् विषय बनता है। इसमें भी धोटाले व गवन की दुर्गन्ध आ रही है। सिर्फ तीन दिनों में हुआ यह खेल नवादा के एमडी और DCO दोनों की मिली भगत से ही ऐसा संभव हुआ है। MD और मैनेजमेंट कमिटी के संयुक्त नापाक गठजोड़ से व्यापक अनियमितता बरतते हुए लगभग 32 करोड़ रूपये का सरकारी राजस्व को चुना लगाया गया है।
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इंटक नेता प्रमोद कुमार ने आगे बताया कि मैंने उक्त सनसनीखेज घोटाले की जाँच कर दोषी को दण्डित करने के मात्र उदेश्य से भारत सरकार के सहकारिता मंत्री अमित शाह,बिहार के सीएम नितीश कुमार, बिहार के सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार, निबंधन सहयोग समिति सहकारिता विभाग के सचिव और रजिस्टार को लिखित आवेदन पत्र प्रेषित किया है।
आवेदक प्रमोद कुमार के द्वारा प्रेषित आवेदन के अलोक में बिहार के सीएम नितीश कुमार ने इस बहु- चर्चित घोटाले की जाँच करने के लिए सहकारिता विभाग के सचिव और रजिस्टार को सिर्फ 10 दिन की तयशुदा समय सीमा के अंदर जाँच कर आवेदक को सूचित कर देने का निर्देश दिया था। लेकिन दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि बिहार में तथाकथित सुशासन की राज में भी आज तक जाँच होने की बातें तो दूर रही, अभीतक जाँच कमिटी का भी गठन नहीं गया है। यह कैसी खेल व विडम्बना चिंतनीय है।
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उक्त बहुचर्चित सनसनीखेज गवन के पर्दाफास करने वाले आवेदक प्रमोद कुमार ने केंद्र और राज्य सरकार से एक मात्र सूत्री मांग किया है कि दी नवादा सेंट्रल कोऑओरेटिव बैंक में व्याप्त घोर अनियमितता के बीच तकरीवन 32 करोड़ सरकारी राजस्व के घोटाले व गवन को अविलम्ब जाँच कर दोषी को शीघ्र दण्डित किया जाना चाहिए ।