गरीब – गुरुआ का राजा लालू जी!

 फलों का राजा: आम

सब्जी का राजा : आलू

फूलों का राजा: कमल

 फिर जंगल का राज शेर कैसे हुआ? शेर कोई जंगल है क्या?

जंगल का राजा तो कोई बड़ा और उपयोगी जंगल ही होना चाहिए । जैसे, हजारीबाग का जंगल, बेतला(पलामू) का जंगल, सतपुड़ा के घने जंगल…

       यह बात मुझे तब ही अटपटा लगा जब गरीबों का राजा, जय घोष करते हुए लालू को बताया गया था! लालू आज भी राजा होने से विख्यात हैं। जंगल राज का राजा! दमित इच्छाओं के पूरे होने के राजा। हथुआ के महाराज होने का राजा।     भैया, सच तो यह है जिसका दुस्साहस असीमित है वह राजा हुआ ! है कि नहीं!

    90 के दशक में बेली रोड के किनारे बैठे छोटे, छोटे ब्राह्मणों को खदेड़ कर बड़े – बड़े समाचार छपवाए, उन मनमानियों का राजा, अव्वल राजा! सड़कों पर ब्राह्मणवाद ? भले ही रघुनाथ झा की कोठी पर जा कर गोड़ लगते हों! है कि नहीं ?

 अजीब सा लगता है! गरीब का राजा कोई अरबपति कैसे हो सकता है?

तो गरीबों का राजा कौन होगा ?

भईया, यह अवधारणा ही गलत है कि कोई किसी का राजा होता है।

          गरीबों को भोजन, वस्त्र, आवास मिले, रोजगार की गारंटी हो। सामाजिक सम्मान मिले। धार्मिक, सांस्कृतिक प्रतिष्ठा और आजादी प्राप्त हो। हिंदू होने का कोई अलग से पीड़ा न हो।  हम होली की संगीत यात्रा निकाले और कोई हम पर पत्थर चलाने लगे। उस सिचुएशन पर सोचो।  शासन ऐसा हो जो प्रजा का होता हुआ दिखे। थोड़ा भय हो कि हिंदू मुसलमान एक साथ उठता बैठता दिखे।

      लालू राज ने एक तरफा  MY को मित्र घोषित कर दिया था। बाकी तो गए भाड़  में ! शेष को अंगूठा दिखा दिया था।

  आज गरीब –  गुरूआ( अभी तक तो गरीब गुरुआ) की राजनैतिक पार्टी  राजद की राष्ट्रीय कार्यकारणी की  बैठक पटना के समीप किसी प्रखंड के चरवाहा विद्यालय के टूटे सपनों के खंडहर या अवशेष जमीन पर तम्बू – शामियाना, दरी बिछा कर नहीं होने जा रहा है। लालू जी के जी तोड़ परिश्रम ने आज  पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों के जीवन शैली को पंच सितारा के शीर्ष तक पहुंचा दिया है। होटल मौर्या  तक पहुंचा दिया है। आज धूप भी निकल आई है। जनवरी की सुनहरी धूप की तासीर से होटल मौर्या के वातानुकूलित कॉन्फ्रेंस हॉल में क्या ? वहां तो सदा दिवाली संत घर जैसा रहता है। 

     बाहर के  वातावरण पता नहीं चलता है। ऐसा न हो मौज में आकर श्री तेजस्वी यादव अपने विशेष संबोधन में MY से अलग A to Z का उल्लेख कर दें! और फिर हालत यह न हो जाय, न खुदा मिला और न ही विसाल-ए-सनम !

 जो कहना था सो कह दिया। पुराने लोग जानते हैं मैं लालू जी का फूल सपोर्टर हूं!

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