औरंगाबाद सांसद अभय कुशवाहा का 17 सालों में मुखिया से सांसद बनने का राजनीतिक सफरनामा ……..

औरंगाबाद के पहले गैर राजपूत सांसद बनें अभय कुशवाहा…..

सुरेश प्रसाद आजाद

 औरंगाबाद लोकसभा सीट का चुनाव दिलचस्प रहा। उम्मीद के विपरीत महा गठबंधन प्रत्याशी अभय कुशवाहा ने जीत हासिल की। मतगणना प्रारंभ होते ही पहले राउंड से ही अभय कुशवाहा ने बढ़त बना ली ।

 बिहार के ‘चितौड़गढ़’ में पहली बार जीता गैर-राजपूत, औरंगाबाद में अभय कुशवाहा ने …

5 जून 2024 को‌ मिनी चित्तौड़गढ़ के नाम से मशहूर बिहार का औरंगाबाद लोकसभा सीट पर चुनावी इतिहास में पहली बार किसी गैर राजपूत उम्मीदवार की जीत हुई है। आरजेडी के अभय कुशवाहा ने 2024 में लालटेन को जलाने में सफल रहे …

  ० अभय कुशवाहा उर्फ ​​( अभय कुमार सिन्हा जन्म ५ जून १९७२) राष्ट्रीय जनता दल के एक भारतीय राजनीतिज्ञ और बिहार, भारत में औरंगाबाद (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) का प्रतिनिधित्व करने वाले

      ० 17 सालों में मुखिया से सांसद बनने तक का तय किया सफर

     नवनिर्वाचित सांसद अभय कुमार सिन्हा उर्फ अभय कुशवाहा का राजनीतिक जीवन काफी रोचक रहा है. इन्होंने 17 सालों में मुखिया से सांसद बनने तक का सफर तय किया.

सामाजिक कार्यों के लिए जमीन और खेत तक बेच दी…

‘बिहार का मिनी चित्तौड़गढ़’ कहे जाने वाले औरंगाबाद को पहली बार गैर राजपूत सांसद मिला है. उनके बढ़ते कद का अंदाजा से भी लगाया जा सकता है कि लालू यादव ने बेटी मीसा भारती के बजाय उनको लोकसभा में आरजेडी के संसदीय दल का नेता बनाया है. मुखिया से सियासी सफर की शुरुआत करने वाले अभय देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठेंगे. उनके संघर्ष की कहानी ……

  नवनिर्वाचित सांसद अभय कुमार सिन्हा उर्फ अभय कुशवाहा का राजनीतिक जीवन काफी रोचक रहा है. इन्होंने 17 सालों में मुखिया से सांसद बनने तक का सफर तय किया. यह राजनीति से जुड़े लोगों के लिए प्रेरणादायी भी है कि संघर्ष के पथ पर लगातार अग्रसर रहकर हर मुकाम हासिल किया जा सकता है. गया के चंदौती के मूल निवासी अभय कुशवाहा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत पंचायत की राजनीति से की थी. वर्ष 2007 में गया के कुजापी पंचायत से मुखिया बने थे. इस समय इन्हें राष्ट्रीय जनता दल द्वारा युवा प्रदेश महासचिव बनाया गया था. हालांकि 2010 में राजद को छोड़कर उन्होंने जदयू का दामन थामा था. इसके बाद वर्ष 2012 में गया का युवा जदयू जिलाध्यक्ष बनाया गया. जिलाध्यक्ष बनने के ठीक कुछ दिन बाद 2012 में ही कुजापी पंचायत से एक बार फिर मुखिया का चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. फिर बढ़ती राजनीतिक महत्वकांक्षा के मद्देनजर वर्ष 2015 में महागठबंधन से जदयू कोटे से टिकारी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को शिकस्त दी और विजयी घोषित करने के साथ ही विधायक बने. इस समय उन्हें जनता दल यूनाइटेड द्वारा एक बड़ी जिम्मेवारी दी गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उन्हें आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उन्हें युवा जदयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद वर्ष 2020 में बेला विधानसभा से जदयू कोटे से विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. फिर उन्होंने इस लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जदयू से नाता तोड़ कर राजद के टिकट से औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा. मतदाताओं ने उन्हें साथ दिया और भारी मतों से जीत दिलायी.

सामाजिक कार्यों के लिए जीवकोपार्जन की जमीन तक बेचनी पड़ी…..परिवार में रामवृक्ष प्रसाद के घर जन्मे । राजनीति के अलावा, वे व्यवसाय में भी सक्रिय हैं, बिहार में प्लाई और ब्रिक्स प्लांट के मालिक हैं। उन्होंने कुमारी अंजलि भारती से विवाह किया है, और वे दो बच्चों के पिता हैं। अभय ने 2000 में मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया। राज्य स्तर की राजनीति में प्रवेश करने से पहले, वे बिहार के गया जिले के कुजापी गांव के मुखिया रह चुके थे। उन्होंने जनता दल (यूनाइटेड) में कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी काम किया था, जिसमें गया के लिए जेडी (यू) के जिला अध्यक्ष का पद और गया जिले के संगठन के सचिव का पद शामिल था। उन्होंने आखिरकार 2015 में अनिल कुमार को टेकारी सीट से विधान सभा के सदस्य बनने के लिए हराया।

 जेडी (यू) के नेतृत्व ने उन्हें पार्टी की युवा शाखा का बिहार प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया  2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) ने अभय को उनके निर्वाचन क्षेत्र टेकारी के बजाय बेलागंज विधानसभा से उम्मीदवार बनाया । 

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडी (यू) के खिलाफ बढ़ते असंतोष के कारण सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर, राष्ट्रीय जनता दल के सुरेंद्र प्रसाद यादव ने अभय को हराया।  2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में हारने के बावजूद, वे अपने कार्यक्षेत्र में, मुख्य रूप से गया क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की विकासात्मक पहल लाने में सक्रिय रहे। 2023 में, उन्होंने इलाके के घरों में संपीड़ित जैव गैस की आपूर्ति प्रदान करने के लिए गोबर धन योजना के तहत गया में 

एक बायो गैस प्लांट शुरू किया। 

वर्ष 2015 में अभय कुशवाहा के आवास पर पार्सल बम विस्फोट हुआ था, जिसमें उसे नष्ट करने का प्रयास करते समय उनके चचेरे भाई और सुरक्षा गार्ड संतोष कुमार कुशवाहा की मौत हो गई थी। बिहार में 2024 के भारतीय आम चुनावों से पहले , उन्होंने जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय जनता दल की सदस्यता ले ली । इसके बाद, उन्हें औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा चुनाव के लिए राजद का उम्मीदवार बनाया गया । उन्होंने कड़े चुनावी मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार सिंह का सामना किया।  औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में मतदान से पहले, भारतीय जनता

पार्टी ने भारत के चुनाव आयोग में एक शिकायत दर्ज की , जिसमें उसने कुशवाहा पर लोगों से ‘जाति’ के नाम पर वोट मांगने का आरोप लगाया, जिसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है। 

उन्होंने सुशील कुमार सिंह को 70,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया और औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र जीतने वाले पहले गैर- राजपूत उम्मीदवार बने। 

 गया के रहने वाले अभय‌ कुशवाहा औरंगाबाद लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने एक छोटे कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी और आज राजनीतिक बुलंदी को छू रहे हैं. अभय कुशवाहा ने आरजेडी से सियासी पारी शुरू की थी और फिर से भी आरजेडी में ही हैं. वह दो बार मुखिया बने, फिर विधायकी का भी चुनाव जीते. उनके परिवार के लोग कहते हैं कि अभय शुरुआत से ही समाजवादी विचारधारा को मानते हैं. यही वजह है कि उन्होंने हमेशा गरीबों, पिछड़ों और दलितों के उत्थान के लिए आवाज उठाया. यहां तक कि अपनी निजी संपत्ति बेचकर समाज की भलाई के लिए काम किया.

गया के कुजापी के रहने वाले हैं कुशवाहा: औरंगाबाद से आरजेडी सांसद बनने वाले अभय कुशवाहा गया जिले के कुजापी के रहने वाले हैं. इनके पिता राम वृक्ष प्रसाद पेशे से शिक्षक थे. वर्तमान में अभय कुशवाहा को राष्ट्रीय जनता दल की ओर से लोकसभा के संसदीय दल के नेता बनाए जाने पर काफी खुशी है. लोगों का कहना है कि छात्र जीवन से ही अभय कुशवाहा जुझारू प्रवृत्ति के रहे हैं. हालांकि उनका ये भी कहना है कि इस मुकाम तक इतनी जल्दी वह पहुंच जाएंगे, यह किसी ने सोचा नहीं था. 29 सितम्बर 2024 को नवादा में कुशवाहा सेवा समिति द्वारा किया गया नागरिक अभिन्दन किया गया उसकी एक झलक

 इस अवसर पर सांसद अभय कुशवाहा ने कहा कि आम जनता को नाजायज बिजली बिल से छुटकारा दिलाने के लिए एक अक्टूबर 2024 से राजद द्वारा आंदोलन शुरू किया जाएगा । इसकी शुरुआत प्रखंड  स्तरीय धरना कार्यक्रम से किया जाएगा । इस अवसर पर जिला अध्यक्ष उदय कुमार यादव अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष गौतम कपूर चंद्रवंशी समेत रेणु सिंह,  प्रेम चौधरी, नीलम पासवान, उमेश शर्मा, सीताराम चौधरी, कौशल राय मोहम्मद अंसारी ,चंदन चौधरी ,शंभू कुमार, मोहम्मद मेराज, रणविजय सिंह सहित सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद रहे।

 ०  27 सित॰ 2023 से  राम रामवृक्ष प्रसाद सेवा निवृत शिक्षक सम्मान समारोह ‌मंच अपने स्थापना वर्ष 2015 से ही प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के अवसर पर मंच के सूत्रधार रहे स्वर्गीय रामवृक्ष प्रसाद सेवानिवृत प्रधानाध्यापक की स्मृति में सेवानिवृत्ति एवं कार्यरत शिक्षक/शिक्षिकाओं को रामवृक्ष प्रसाद सेवानिवृत शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित किया जाता रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में जीवन समर्पित करने वाले रामवृक्ष प्रसाद एक कुशल शिक्षक के रूप में जाने जाते रहे हैं । जहां भी रहे गुरु एवं शिष्य का मधुर संबंध बनाए रखा और उत्तरोत्तर आगे बढ़ते गए। इनका जन्म 18 में 1935 में गया स्टेशन के बगल में कुजापी ग्राम में हुआ था । उनके पिता का नाम बाल गोविंद महतो‌ वे माता-पिता के इकलौते  संतान थे । उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी विद्यालय में हुई तथा आगे की पढ़ाई गया उच्च विद्यालय गया से की । निम्नवर्गीय परिवार से होते हुए भी उन्होंने साइंस से स्नातक की डिग्री‌ गया कॉलेज गया से ली। पढ़ाई के उपरांत उनकी नियुक्ति 2 सितंबर 1955 में गया जिले के सिंथु अतरी के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक पद पर हुई । सरकार ने उनकी शिक्षा सेवा एवं कर्माठता को देखते हुए इनका स्थानांतरण 26 जून 1958 में मध्य विद्यालय विझो( गया नगर) में किया गया । विज्ञान से स्नातक रहने के कारण 15 अप्रैल 1977 को इनका स्थानांतरण विज्ञान शिक्षक के रूप में मध्य विद्यालय टेहटा

टिकारी में किया गया । पुनः 1 अप्रैल 1981 में मध्य विद्यालय बगदाहा( बोधगया) में प्रधानाध्यापक के रूप में किया गया और वे उक्त पद पर 18 मई1995 को सेवानिवृत हो गए । 28 सितंबर 1915 को उ

इनकी मृत्यु हो गई । मृत्यु के पूर्व हमेशा उनका यह सपना रहा है कि सेवानिवृत शिक्षक जो आधा से अधिक जीवन शिक्षा के क्षेत्र में बिता चुके हैं, उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए । उनके मरणोपरांत उक्त सपना को साकार करने हेतु तन मन धन से लगे लोकसभा  सांसद अभय कुशवाहा । अभय कुशवाहा द्वारा मगध प्रमंडल स्तर पर मगध प्रमंडल मौर्य शिक्षक मंच नामक संस्था बनाई गई है । जो प्रत्येक वर्ष मगध प्रमंडल के गया , नवादा , जाहांनाबाद‌‌ औरंगाबाद एवं अरवल जिले के सेवानिवृत्ति शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष सम्मानित कर करती है ।

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