-सुरेश प्रसाद आजाद
नवादा,(बिहार)।

समाज के सहयोगी रहे रामकिशुन महतो एक अनुभवी एवं कुशल शिक्षक के रूप में जाने जाते हैं । वे बचपन से ही सामाजिक व्यक्तित्व के धनी रहे हैं । उनका जन्म स्थान धनामां है और वे निम्न परिवार से रहे हैं । काफी कठिनाइयों के बावजूद भी एम.ए. की पढ़ाई पूरी की । पढ़ाई पूरी करने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा । शिक्षा के क्षेत्र में इन्हें काफी सफलता भी मिली । वे जहां भी रहे छात्रों को अच्छे संस्कारों से नवाजा । वे पूंजीवाद,अंधविश्वास , पाखंड , भाग्य और भगवान पर विश्वास नहीं रखते ।
शोषित क्रांति के अग्रदूत अमर शहीद जगदेव प्रसाद एवं डॉक्टर अंबेडकर को याद करते हुए उन्होंने ” नवादा एक्सप्रेस ” से कहां कि उक्त नेतृत्वकर्ताओं का मानना था कि भारत जैसे विशाल और कृषि प्रधान देश में ऐसी शिक्षा प्रणाली हो जो समतामूलक , सर्व- धर्म , सद्भाव मूलक , रोजगार मूलक , विश्व बंधुत्व मूलक और उत्पादक मूलक हो जो लोगों को ऐसा भाव उत्पन्न करें , जिससे बिना किसी भेदभाव के सभी हाथ को उनकी योग्यता और हुनर के अनुसार काम मिले ।
उन्होंने यह भी कहा कि धर्म के नाम पर देश में जो हो रहा है अच्छा नहीं हो रहा है बल्कि मनुवादी शिक्षा प्रणाली को भी बड़ी तीव्र गति से प्रोत्साहित भी किया जा रहा है । जो आने वाले समय में शोषितों और वंचितों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होगा । वे ज्योतिबा फुले की भांति नारी शिक्षा पर बल देते रहे हैं। उनका मानना था कि किसी भी परिवार में जब कोई लड़का शिक्षित होता है तो केवल एक ही व्यक्ति शिक्षित होता है । लेकिन जब कोई लड़की शिक्षित होती है तो एक परिवार शिक्षित होता है । इसी प्रकार उन्होंने नवादा में ही नहीं बल्कि मगध क्षेत्र स्तर पर शिक्षा पर जोर देते रहे और लड़का के साथ- साथ लड़कियों को भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन स्वरूप सम्मान समारोह का आयोजन करते रहे हैं ।
ऐसे भी हमने उनसे कई मुद्दों पर बातचीत कर सलाह लेते रहे हैं, और उनका सलाह भी हमेशा सकारात्मक ही रहा है । शिक्षा के क्षेत्र से सेवानिवृत्त होने के बाद जब मैं उनसे एक हाथ में ” नवादा एक्सप्रेस “(हिन्दी समाचार-पत्र) लिए नवादा से प्रकाशित को देखा। और देखने के बाद उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ के साथ -साथ इसे समाज का दर्पण भी बनाए रखें । जो आने वाले समय में मानव समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन सके ।
फिलहाल वे स्वास्थ्य लाभ के लिए मुंबई में रह रहे हैं । स्वास्थ्य सुधार के संबंध में मोबाइल पर बात-चीत के क्रम उन्होंने कहा कि अभी मैं मुंबई में हूं । जहां मैं स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ कैंसर अस्पताल से जुड़ा हूं ।
कैंसर से पीड़ितों के संबंध में उन्होंने कहा कि कैंसर कोई लाइलाज बीमारी नहीं है । इसका इलाज है और उसे इलाज के जरिए ठीक किया जा सकता है।
यह रोग ना तो वंशानुगत है और ना ही रोगी के संपर्क में आने से होता है । यह रोग हमारे खानपान पर निर्भर करता है ।