पुस्तक चर्चा

नाटकीयता से परे जमीनी हकीकत का बेहतरीन उपन्यास औघड़ (विवेक रंजन श्रीवास्तव-विभूति फीचर्स) प्रस्तुती -सुरेश प्रसाद आजाद हिन्द युग्म “नई वाली हिंदी” का जश्न मनाने वाले युवाओं द्वारा प्रारंभ की…

बच्चों को दंड देना कितना उचित

(निर्मला  – विनायक फीचर्स) प्रस्तुती- सुरेश प्रसाद आजाद हां, बच्चों को ज्य़ादा सख्त सजा नहीं देनी चाहिए क्योंकि इससे वे सुधरने के बजाय बिगडऩे लगते हैं। बच्चे को सजा देने…

आधुनिकता की अंधी दौड़ में टूटते रिश्ते 

(वैदेही कोठारी-विनायक फीचर्स) प्रस्तुती – सुरेश प्रसाद आजाद हमारा समाज रिश्तों का ताना-बाना है। अर्थात रिश्तों का जाल है। हर जगह हम रिश्ते बना लेते हैं। जैसे ट्रेन, बस, मार्केट…