साहित्यकार , उपन्यासकार , नाटककार व कथाकार  जयनंदन प्रसाद को जिला कुशवाहा सेवा समिति द्वारा सम्मानित ….

-सुरेश प्रसाद आजाद

नवादा जिले के वारिसलीगंज प्रखंड के अन्तर्गत मिल्की ग्राम निवासी वर्तमान टाटा में आवासित महान साहित्यकार,उपन्यासकार, नाटककार व कथाकार कुशवंशी सपुत श्री जयनंदन अपने जीवन के सर्वोच्च मुकाम को हासिल किया । इसके लिए नवादा  कुशवाहा सेवा समिति परिवार की ओर से कामना व्यक्त किया गया है । 

          अपने जन्मभूमि पर एक सप्ताह के लिए आगमन के उपरांत उन्होंने निर्माणाधीन कुशवाहा छात्रावास नवादा का विजिट करते हुए समिति के मिशन को दूरदर्शी बताते हुए काफी सराहनीय बताया और कोंचिग सेंटर के संचालक श्री इन्द्रपाल जानसन  के निज निवास नवीन नगर नवादा में कोर कमेटी पदाधिकारी  के दर्जनों सदस्यों द्वारा साहित्कार जयनंदन  को सम्मानित करते हुए उनसे डायरेक्ट रूबरू होकर उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन पाया । 

      “” होनहार बिरवान के होत चिकने पात “”

1956 ई में जन्म लेने वाले महान साहित्यकार जयनंदन  शुरू से ही काफी तेज तर्रार रहे हैं, वे टिस्को से एक कर्मचारी के रूप में अपनी जीवनयापन की शुरूआत किया। पर कहते हैं न ,प्रतिभा हिलकोर मारते रहती है इसलिए वे नौकरी करते हुए भी साहित्यिक क्षेत्रों में निरंतर रूचि बनायें रखे परन्तु नौकरी के कारण साहित्यिक क्षेत्रों में खुलकर समय नहीं दे पाते थे इसलिए उन्होंने टिस्को में मजदूर संघ का चुनाव लड़ा ताकि साहित्य में खुलकर समय निकाल सकूं । संयोग से चुनाव जीत नहीं पाए पर जीतने वाले ने इनकी प्रतिभा को पहचान लिया और उसे डर हो गया कि यदि इसे अपने रास्ते से अलग नहीं किया तो अगली बार जयनंदन चुनाव जीत जाएगा |

इसलिए जीतने वाले नेता ने उपर से पैरवी कर इन्हें सुपरवाइजर बनवा दिया , सुपरवाइजर बनने से अव उनके पास वर्क लोड कम हो गया और साहित्यिक क्षेत्रों में अपना अधिक समय देने लगे , कह सकते हैं कि अपनी तेज तर्रार प्रतिभा के कारण चुनाव हारकर भी जीत गये और सुपरवाइजर बन गये आखिर वे समय निकालने के लिए ही चुनाव लड़ रहे थे| इसके बाद इन्होंने साहित्यिक क्षेत्रों  में सर्वोच्च मुकाम हासिल करने के लिए जुट गए | 

आज की तारीख में दर्जनों उपन्यास, दर्जनों कहानी संग्रह, दर्जनों नाटक और सैकड़ों कहानियां जो देश विदेश के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में और दर्जनों भाषा में प्रकाशित की गयी, जिससे इन्हें एक रायल्टी के साथ साथ काफी प्रतिष्ठा मिल रही है और पिछले साल ही इफको द्वारा श्री लाल पुरस्कार के तहत 11 लाख रुपए व प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया था । बीबीसी में भी इनकी उपलब्धियों को बखान किया गया और जगह दिया गया ।

जयनंदन प्रसाद को एक अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार के रूप में  काफी प्रतिष्ठा मिल रही है ।

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