ब्राह्मणवादी संस्कृति को तिलांजली देकर मानववादी पद्धति अपनाया 

नवादा से डी के ‌अकेला की रिपोर्ट 

नवादा ,22 फ़रवरी 

नवादा जिले के अंतर्गत कौआकोल प्रखण्ड सह थाना के एक गांव में कर्मकांड के स्थापित पुरानी रूढ़िवादी तथा ब्राह्मणवादी संस्कृति को सिरे से  दरकिनार कर  एक अनोखा चर्चित मानववादी पद्धति से श्राद्धकर्म बड़े कौतूहलपूर्ण व उल्लासपूर्ण माहौल में धूमधाम से सम्पन्न हुआ। ऐसे विचित्र श्राद्धकर्म की चर्चा से आज बाजार काफी गर्म है। इसके चहुँओर तरह-तरह के कशीदे गढ़े जा रहे हैं। जहाँ एक ओर जड़सूत्र जमाये समाज में गहरे रूढ़ परम्पराओं व  ब्राह्मणवादी संस्कृति के पैरोकार को काफी नागवार गुजर रहा है वहीं मानववादी विचारधारा के चहेते लोगों में बेहद ख़ुशी एवम् अति उत्साह का संचार प्रवाहित होते दिखाई दे रहा है। मानववादी पद्धति से श्राद्धकर्म शुरुआती दौर में कुछ समय के लिए भले ही जोखिमभरा लगता है, लेकिन भावी दिनों में समाज के प्रबुद्ध ,जागरूक व सचेत वर्ग का समर्थन और सहयोग मिलना शुरू हो जाता है। यह एक कड़वा सच एवं अकाट्य है कि ब्राह्मणवादी पद्धति से समाज को बेहद परेशानी के साथ बहुत नुकसान होता है, जबकि मानववादी पद्धति से किये गये श्राद्धकर्म से समाज का भला व लाभ होता है।

      जिले के कौआकोल प्रखण्ड के अंतर्गत बन्दैली खुर्द गाँव में दिनांक 21 फ़रवरी को ऐसा ही एक अनोखा मानववादी पद्धति से श्राद्धकर्म देखा गया,जो इलाके के चारोंओर आज जबर्दस्त चर्चा का विषय बन चूका है। यहाँ एक अद्भुत नजारा देखने को मिला,जहाँ ब्रह्मभोज की जगह कुँवारी कन्या का पूजन सह प्रीति भोज से दिवंगत रामप्यारी देवी को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

जिले के सदर प्रखंड के लोहरपुरा 

मध्य विद्यालय में कर्मनिष्ट कार्यरत  प्रधानाध्यापक व समाज सेवी संजय पासवान तथा उनके अग्रज शिक्षक विपिन पासवान ने अपनी लाडली मां रामप्यारी  देवी के मरणोपरांत मानववादी पद्धति से श्राद्धकर्म करके समाज में एक जीवन्त अद्भुत बेहतर उदाहरण पेश कर समाज तथा भावी पीढ़ी के लिए एक नई रौशनी व बहुमूल्य दिशा दिलेरी से प्रस्तुत किया,जो चीर स्मरणीय व अनुकरणीय यगयुगान्तर प्रमाणित  व अक्षुण्य रहेगा।

   अर्जक संघ के एक जाने-माने चर्चित हस्ती व नेता परमेश्वर मंडल की अध्यक्षता में रामप्यारी देवी के तैलीय चित्र पर पहले उपस्थित लोगों के द्वारा माल्यार्पण सह पुष्पांजलि अर्पित कर एक मिनट का शोकसभा  का आयोजन कर श्रद्धांजलि दी गई।

    सभी वक्ताओं ने रामप्यारी देवी के अहम् सामाजिक व पारिवारिक पृष्टभूमि- दायित्वों के सफलतापूर्वक निर्वहन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।साथ ही सभी वक्ताओं ने कहा कि दिवंगत रामप्यारी एक अनपढ़ महिला होकर भी अपने बच्चों को शिक्षित,पुष्पित व संस्कारित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। अपने बच्चों को समाज में निष्ठावान समाज सेवक के बतौर शिक्षक,बैंकर तथा सचिवालय सचिव बनाने में अहम् योगदान समर्पित किया। 

   अर्जक संघ के तमाम नेताओं ने मृत्युभोज,दान-पूण्य और कर्मकांड को ब्राह्मणवादी पाखंड व अमानवीय साबित कर प्रधानाध्यापक संजय पासवान तथा उनके परिवारों के अडिग बेजोड़ साहस की प्रशंशा की।  कार्यक्रम के उत्तरार्द्ध में गांव के तीस कुँवारी कन्याओं को प्रीतिभोज कराया गया। साथ ही साथ उन सभी कन्याओं को स्कूली ड्रेस सहित अन्य पाठ्य सामग्री प्रदान कर समाज में बेटियों के प्रति सम्मान व समर्पण का एक अद्भुत अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर सबों को अचंभित कर दिया। उक्त मौके पर प्रगतिशील लेखक संघ के लौह स्तम्भ अशोक समदर्शी ,सर्वगुण सम्पन्न शम्भू विश्वकर्मा, बामसेफ के उमेश रजक, अर्जक संघ के हस्ती उपेन्द्र पथिक, नरेंद्र कुमार, रामफल पंडित, भुवनेश्वर प्रसाद सहित प्रबुद्ध समाज के दर्जनों लोग व सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित होकर साक्षी बने। अर्जक संघ के मशहूर गायक सुरेन्द्र प्रसाद और चर्चित निर्गुण गायक रमेश कुमार की टीम ने एक से बढ़कर एक गायन प्रस्तुत कर श्रोताओं के दिल मंत्रमुग्ध कर ढेरों तालियां बटोरी। यह मानववादी पद्धति से हुआ श्राद्धकर्म व शोक श्रद्धांजलि कार्यक्रम समाज व भावी पीढ़ियों हेतु सदा-सदा के लिए यादगार तथा अनुकरणीय रहेगा।

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