*विदेश में हिंदी पत्रकारिता*
(विवेक रंजन श्रीवास्तव-विभूति फीचर्स)

हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास पुराना है । भारत में प्रकाशित होने वाला पहला हिंदी भाषा का अखबार, उदंत मार्तंड ( द राइजिंग सन), 30 मई 1826 को शुरू हुआ था । यही कारण है कि प्रति वर्ष ३० मई को ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है । हिन्दी पत्रकारिता का विस्तार वैश्विक रूप से हुआ है । समय के साथ कम्प्यूटर तकनीक , यूनीकोड टाइपिंग के साथ साफ्ट और हार्ड कापी में पत्रकारिता आसान हुई है । किन्तु हिन्दी की वैश्विक पत्रकारिता का सफर दुर्गम मार्गो पर चलकर बढ़ा है । विभिन्न कामनवैल्थ देशों में श्रमसाध्य कार्यों के लिये भारत से मजदूरी के लिये एग्रीमेंट के तहत लोग ले जाये गये । उनमें से अनेक बहुत पढ़े लिखे तक नहीं थे , किन्तु उनके साथ रामचरितमानस विदेश गई , हिन्दी विदेश गई , भारतीयता और यहां की संस्कृति भी विदेश गई । विदेशों में इन्हीं लोगों की अगली पीढ़ियों ने परस्पर संवाद , तथा हिन्दी के प्रति अपने अनुराग के चलते वहां पत्र पत्रिकाये शुरू कीं । तत्कालीन हस्त लिखित पत्रिकायें या टंकित , साइक्लोस्टाइल्ड और फिर मुद्रित पत्रिकाओं को इकट्ठा करना उनके पत्रकारिता मूल्यों की विवेचना करने का दुश्कर काम जवाहर कर्नावट ने प्रस्तुत पुस्तक “विदेश में हिंदी पत्रकारिता” में कर दिखाया है ।
जवाहर कर्नावट की सद्यः प्रकाशित पुस्तक विदेश में हिंदी पत्रकारिता के पहले ही अध्याय मारीशस में हिन्दी पत्रकारिता में जवाहर कर्नावट लिखते हैं कि मारीशस में हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास 112 वर्ष पुराना है । दरअसल गिरमिटिया देशों में हिन्दी पत्रकारिता का वैश्विक हिन्दी स्वरूप भक्ति मार्ग से प्रशस्त होता है , क्योंकि जब एक एग्रीमेंट के तहत हजारों की संख्या में भारतीय मजदूरों को विभिन्न औपनिवेशिक देशों में ले जाया गया तो उनके साथ तुलसी की रामचरित मानस भी वहां पहुंची और इस तरह हिन्दी के वैश्वीकरण की यात्रा चल निकली । कर्नावट जी ने बड़े श्रम से व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास कर मारीशस ,आफ्रीका , फिजी , सूरीनाम , गयाना , त्रिनिदाद टुबैगो आदि गिरमिटिया देशों में हिंदी पत्रकारिता की ऐतिहासिक यात्रा को संजोया है । उनका यह विशद कार्य भले ही क्रियेटिव राइटिंग की परिभाषा से परे है पर निश्चित ही यह मेरी जानकारी में पुस्तक रूप में संग्रहित विलक्षण प्रयास है । वर्ष 2011 में पवन कुमार जैन की पुस्तक “विदेशों में हिन्दी पत्रकारिता” शीर्षक से राधा पब्लिकेशन्स दिल्ली से प्रकाशित हुई थी , उसके उपरान्त इस विषय पर यह पहला इतना बड़ा समग्र प्रयास देखने में आया है , जिसके लिये जवाहर कर्नावट को हिन्दी जगत की अशेष बधाई जरूरी है ।

मुझे अपने विदेश प्रवासों तथा सेवानिवृति के बाद बच्चों के साथ अमेरिका , यूके , दुबई में कई बार लंबे समय तक रहने के अवसर मिले , तब मैंने अनुभव किया कि हिन्दी वैश्विक स्वरूप धारण कर चुकी है । कई बार प्रयोग के रूप में जान बूझकर मैने केवल हिन्दी के सहारे ही इन देशों में पब्लिक प्लेसेज पर अपने काम करने की सफल कोशिशें की हैं । यूं तो मुस्कान और इशारों की भाषा ही छोटे मोटे भाव संप्रेषण के लिये पर्याप्त होती है किन्तु मेरा अनुभव है कि हिन्दी की बालीवुड रोड सचमुच बहुत भव्य है । नयनाभिराम लोकेशन्स पर संगीत बद्ध हिन्दी फिल्मी गाने , मनोरंजक बाडी मूवमेंट्स के साथ डांस शायद सबसे लोकप्रिय मुफ्त ग्लोबल हिन्दी टीचर हैं । टेक्नालाजी के बढ़ते योगदान के संग जमीन से दस बारह किलोमीटर ऊपर हवाई जहाज में सीट के सामने लगे मानीटर पर सब टाईटिल के साथ ढ़ेर सारी लोकप्रिय हिन्दी फिल्में , और हिन्दी में खबरें भी मैंने देखी हैं । प्रस्तुत पुस्तक में जवाहर जी ने उत्तरी अमेरिका और आस्ट्रेलिया महाद्वीप के देशों में हिन्दी पत्रकारिता खण्ड में अमेरिका , कनाडा , आस्ट्रेलिया , और न्यूजीलैंड देशों के हिन्दी के प्रकाशनो को जुटाया है । उन पर कर्नावट जी की विशद टिप्पणियां और परिचयात्मक अन्वेषी व्याख्यायें महत्वपूर्ण दस्तावेजी करण हैं ।

