धिरे बजा होरन रे पगले अभी SC,st,OBC सोया है

सुरेश पासवान 

मनुवाद  के जुल्म सितम से…* 

*फूट फूटकर ‘रोया’ है…!!*

*धीरे हाॅर्न बजा रे पगले…. मूलनिवासी सोया है…!!!*

*भूत भविष्य खो  चैन’ मिला है… ‘पूरी’ नींद से सोने दे…!!*

*जगह मिले वहाँ ‘साइड’ ले ले…हो शोषण  तो होने दे…!!*

*किसे जगाने की  चिंता में… तू  इतना जो ‘खोया’ है…!!*

*धीरे हाॅर्न बजा रे पगले…. मूलनिवासी सोया है…!!!*

*आरक्षण के सब ‘नियम’ पड़े हैं… कब से ‘बंद’ किताबों में…!!*

*’जिम्मेदार’  पिछड़ों के नेता…सारे लगे गुलामी में…!!*

*तू भी कर दे झूठे वादे क्यों ‘ईमान’ में खोया है..??* 

*धीरे हाॅर्न बजा रे पगले…. मूलनिवासी सोया है…!!!*

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*ये समाज है ‘सिंह’ सरीखा…  जब तक सोये सोने दे…!!*

*’गुलामी की इन सड़कों पर…  तू नित शोषण होने दे…!!*

*समाज  जगाने की हठ में तू….  क्यूँ दुख में रोया है…!!*

*धीरे हाॅर्न बजा रे पगले.*

*मूलनिवासी सोया है…!!!*

*अगर समाज यह ‘जाग’ गया तो.. शोषक सीधा हो जाएगा….!!*

*आर.एस एस. वाले ‘चुप’ हो जाएँगे…. और  हर मनुवादी  रोयेगा…!!*

*अज्ञानता से ‘शर्मसार’ हो ….  बाबा भीम भी रोया है..!!*

*धीरे हाॅर्न बजा रे पगले… मूलनिवासी सोया है…!!!*

*मूलनिवासी सोया है…!!!*

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