सुरेश प्रसाद आजाद

नवादा,22 मार्च 2025।
कैथी लिपि का प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन नवादा स्थित प्रोजेक्ट कन्या इंटर विधालय में किया गया। इस अवसर पर उपस्थित पदाधिकारीयों एवं कार्यक्रम में पहुंचे प्रशिक्षकों द्वारा कैथी के इतिहास पर प्रकाश डाला गया।
कैथी लिपिक प्रशिक्षण सह कार्यशाला उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर नवादा सदर अनुमंडल पदाधिकारी श्री अखिलेश कुमार ,शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य, श्री विनय प्रसाद चौधरी एवं इंटैक चैप्टर के कन्वेनर प्रो० बच्चन कुमार पांडे ने संयुक्त रूप से किया। बनारस से आए प्रशिक्षक श्री प्रीतम कुमार, छपरा से आए श्री बकार अहमद को फूल माला एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया ।

इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी श्री अखिलेश कुमार ने जमीन से संबंधी कागजात की पूरी जानकारी दी तथा आम गैरमजरुया एवं खास गैरमजरुया को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में जमीन की रजिस्ट्री कैथी भाषा में ही की जाती थी । जिसे पढ़ने वालों का अभाव है ।
इस संबंध में उन्होंने कहा कि इंटैक नवादा चैप्टर द्वारा यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है । यह प्रशिक्षण जमीन से जुड़े राजस्व कर्मचारी, वकील,कातिब, अमीन आदि लोगों को प्रशिक्षण लेना आवश्यक है । इस प्रशिक्षण योजना के लिए उन्होंने इंटैक नवादा चैप्टर को धन्यवाद दिया ।

इस अवसर पर शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य विनय प्रसाद सिंह चौधरी ने कहा कि यह प्रशिक्षण नवादा के लिए अनूठी एवं काफी महत्वपूर्ण है । कैथी लिपि का प्रयोग मुख्य रूप से प्रशासनिक एवं व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था ।
इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत करते हुए इंटैक नवादा चैप्टर के कन्वेनर प्रोफेसर बच्चन पांडे ने कहा कि इस भाषा का उपयोग पूर्व में ही कानूनी प्रशासनिक एवं निजी अभिलेखों के लिए किया जाता था । साथ ही साथ इंटर आर्यन भाषाओं के लिए अनुकूलित, अंगिका, अवधी, भोजपुरी, बज्जिका, मैथिली, मगही और नागपुरी जैसी भाषाओं का कैथी में प्रयोग जाता था। उन्होंने कहा कि कैथी भाषा 16 वीं से 20 वीं सदी के मध्य तक प्रचलित थी। प्रो० पांडे ने कहा कि इसकी प्रेरणा हमें नवादा संग्रहालय के पूर्व संग्रह डॉक्टर शिव कुमार मिश्रा से मिली थी ।
मंच का संचालन करते हुए सुरेंद्र कुमार ने कहा कि कैथी बंगाल के पश्चिम उत्तर भारत की सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल लिपिक थी । बैंकर्स एसोसिएशन के नेता डॉक्टर सुबोध कुमार ने कहा कि 19 वीं 21वीं सदी के मध्य तक कैथी लिपि के स्वरों एवं व्यंजनों की हस्तलिखित रूप है ।
प्रशिक्षुकों इंटैक के सदस्य श्रीमती बीणा मिश्र, श्री सुरेंद्र प्रसाद मुखिया, श्री सच्चिदानंद , श्री अर्जुन यादव, श्री श्याम सुंदर पांडे , श्री ललित किशोर शर्मा के अलावे समाजसेवी श्री पांडे, श्री अभिमन्यु कुमार ने कहा कि 1580 ई० में बिहार के अदालतों की आधिकारिक लिपिक के रूप में मान्यता प्रदान की गई थीं ।

इस संबंध में विषय विशेषज्ञ प्रशिक्षक श्री प्रीतम कुमार ने कहा कि कैथी लिपि बिहार के विस्तृत, सांस्कृतिक को निरुपित करती है । बिना कैथी लिपि ज्ञान के बिहार लोक संस्कृति भाषायी विविधता परम्परागत इतिहास आदि को समझा जा सकता है।
इस संबंध में प्रशिक्षक बाकर अहमद ने कहा कि कैथी का ज्ञान जमीन का दस्तावेज पढ़ने में काफी मददगार है ।