भारत के सबसे कठिन पर्वों  में से एक है छठ महापर्व ….

  सुरेश प्रसाद आजाद                                       

 चार दिन की छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर से ही हो  गई है । दिवाली के बाद मनाए जाने वाले इस पर्व में व्रती  36 घंटे का निर्जला उपवास खरती है । चार दिन का यह पर्व भारत के सबसे कठिन पर्वों में से एक है ।

         छठ पूजा के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें प्रथम दिन डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है । जब कि दुसरे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को । यह पर्व  परिवार की खुशहाली बेटे और पति की लंबी आयु की कामना से साथ यह व्रत किया जाता है । कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को नहाए खाय( कद्दू भात) होता है ।  अगले दिन खरना और तीसरे दिन डूवते सूरज को अर्ध्य दिया जाता है । छठ पर्व के चौथे दिन उगते सूरज को अर्ध्य देने के बाद उवास खोला जाता है ।

भारत के सबसे कठिन पर्वो में से एक है महापर्व छठ….  

           देश – विदेश तक मंनाए जाने वाले इस पर्व की सबसे अधिक धूम बिहार और उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती है ।  आप अगर पहली बार छठ कर रहे हैं तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें ।

   छठ पूजा का पहला दिन पूरे घर की साफ – सफाई की जाती है । फिर स्नान के बाद भोजन बनाया जाता है ।  छठ का उपवास करने वाली व्रती को भोजन में कद्दु  की सब्जी चने की दाल और चावल का सेवन करना होता है । भोजन करने के बाद परिवार के अन्य लोग भी भोजन करते है ।

       छठ पूजा का दूसरा दिन इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखती है और शाम में भोजन ग्रहण करती हैं। खरना के मौके पर प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में तैयार चावल ,चावल  का पिठ्ठा और घी चुपड़ी रोटी इसे प्रसाद स्वरूप सभी में वितरण किया जाता है ।  ध्यान रखे की प्रसाद में नमक और चीनी दोनों का प्रयोग वर्जित होता है ।

    तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है शाम में डूबते सूरज को अर्ध्य दिया जाता है । इस दिन प्रसाद में ठेकुआ बनाते हैं । सूर्यास्त के समय व्रती किसी नदी , तालाब या कुंड के  किनारे एकत्रित होकर समूह में सूरज को अर्ध्य देती हैं । सूर्य देव को दूध और जल का अर्ध्य देने के साथ छठी मैया को प्रसाद भरे सुप से पूजा की जाती है ।

    पूजा का चौथा दिन अर्ध्य अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है । सुबह के उठने बाद अपने परिवार के साथ छठ घाट पर जाते है और उगते हुए सूरज को अर्ध्य देते हैं । पूरी प्रक्रिया संध्या अर्ध्य की तरह ही होती है । यह अर्ध्य भी सामूहिक रूप से दिया जाता है

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