बाल जगत

सुनो कहानी सप्तऋषियों की

(जनक वैद-विभूति फीचर्स)

            उस समय के सभी बच्चों की तरह हम भाई बहन भी प्रतिदिन रात को सोने से पहले अपनी गुणवान मां से कोई ना कोई कहानी अवश्य सुनते। इसलिए एक दिन रात को सोने से पहले रात को आकाश की ओर अंगुली करते हुए हमने कहा, ” मां! आज तो हम  सप्तऋषियों की कहानी सुनेगें।”

    तब मां ने कहा कि, ” पहले तो मैं उनके नाम बताती हूं। तनिक ध्यान से सुनो!”मां के यह कहते ही, मैं और मेरे दोनों छोटे वीरे (भाई),पलंग पर ही चौकड़ी मार कर बैठ गए। हमारी इस हरकत से, मां हंसने लगी। तत्पश्चात कथा आरंभ हुई जैसे , 

” हां तो बच्चो! पहले मैं तुम को उनके नाम बताती हूँ 

ऋषि वशिष्ठ, अत्रि ,मारीचि , भारद्वाज, कृतु ,अंगिरा और पुलतस्य। मां ने आगे बताया कि,” ब्रह्मा जी ने संसार में सनातनी संस्कृति को बनाए रखने के लिए, इन महापुरुषों की उत्पत्ति की। इन्होंने अपने ज्ञान से वेदों, ग्रंथों और पुराणों की रचना की और उसी ज्ञान को जनसाधारण तक पहुंचाया। और इसीलिए उस समय के समाज ने इन महापुरुषों को सप्तऋषियों कीउपाधि दी।

  ” बच्चों! अलग अलग  समय में अन्य अनेक विद्वानों ने भी , हमारे प्राचीन  साहित्य और धर्म ग्रंथों मेें लिखे ज्ञान को ,उस समय के लोगों तक पहुंचाया और इसीलिए उस समय के समाज ने भी, उन महापुरुषों को भी सप्तऋषियों की उपाधि दी। पद्मपुराण, विष्णु पुराण और मत्स्य पुराण के अनुसार वशिष्ठ, विश्वामित्र, कश्यप, भारद्वाज, अत्रि, जमदग्नि और गौतम भी सप्त ऋषि कहे जाते हैं।

   तत्पश्चात मां ने बताया कि यदि तुम अपनी मित्रमंडली में इस विषय पर कोई बात करो और तुम्हारे साथी बोलें कि, “यह वाले ऋषि नहीं, वे तो कोई और ही हैं। ” तब तुम निःसंकोच उनकी शंका का निवारण कर सकते  हो। 

  अच्छा तो बच्चों! अभी तुम्हें सप्तऋषि और बालक ध्रुव के विषय मेें कुछ अन्य जानकारी, भी बताती हूं ध्यान से सुनो जैसे कि,”  सप्तऋषि तारे स्वयं ध्रुव तारे की परिक्रमा करते हैं तथा एक धारणा यह भी है कि ,ध्रुव तारा एक ही स्थान पर स्थित है। पर वास्तव में ऐसा  नहीं है। वैज्ञानिकों ने खोज की है कि, लगभग प्रति पांच हजार वर्ष बाद, यह अपने स्थान से तनिक सरकता है।

  वैज्ञानिकों के अनुसार सप्त ऋषि तारामंडल, उत्तरी आकाश में दिखाई देने वाला एक प्रसिद्ध तारामंडल है, जिसे सात तारों के एक समूह के रूप में देखा जाता है। इसे सप्तर्षि, अर्सा मेजर, ग्रेट बेयर या बिग डिपर भी कहा जाता है। यह तारामंडल ध्रुव तारे के चारों ओर घूमता हुआ प्रतीत होता है।

   मां ने हमें आगे बताया कि ,” देखो ! उधर, सप्तऋषियों की ओर ….उधर ऋषि वशिष्ठ नामक तारे के करीब, थोड़ा ऊपर जो धुंधला सा एक तारा दिख रहा है उसका नाम है अरुंधति। यह ऋषि वशिष्ठ की पत्नी है। उनकी इच्छा थी कि,मृत्यु के बाद भी वे अपने पति के समीप रहे इसीलिए इस तारे को अरुंधति का नाम दिया।

    फ़िर हमने मां से कहा ” मां! एक और कहानी सुनाओ!” तब मां ने हमें लाड़ से डांटते हुए कहा , ” बस अब सो जाओ,,बाकी कहानी कल……(विभूति फीचर्स)

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